Thursday, August 21, 2008

अशोक का विकल्प





अशोक, चतुरेश

और ब्रिजेन्द्र का विकल्प था मगर अशोक के काम और गणेश और संदीप की साझा सहयोग से इस विकल्प का प्रकाशन होने जा रहा है। हमारे वेब के लिए प्रस्तुत है इसकी एक जेपीजी।

Wednesday, August 13, 2008

क्या सोचते और लिखते है अभिनव

इन दिनों देश में हर तरफ़ एक ही नाम का चर्चा हो रहा है जो बीजिंग से लगाकर देश के हर कोने में छाया हुआ है. रातों रात सफलता के नए कीर्तिमान कायम करने वाले अभिनव बिंद्रा को जानने का एक और मौका आपके लिए हम ढूंढ़ लाया हूँ

अभिनव के ब्लॉग पर जाने के लिए क्लिक करें.

Saturday, August 9, 2008

तृतीय सेमेस्टर का पहला विकल्प




भोपाल
पत्रकारिता विस्वविद्यालय का नया सत्र आरम्भ होने के साथ ही विकल्पों का दौर शुरू हो गया है । पहले विकल्प में एडिटर मंडल की आकृति आनद टाइम पर भोपाल पहुच गई और समय पर विकल्प का कम हो गया है बस शायद प्रिंट नहीं हो पाया है । उसकी प्रतियाँ नेट पर आपके लिए रखी है और आपके फीड बेक की उम्मीद है ।

Friday, August 1, 2008

सत्रारंभ का स्पेशल विकल्प आ गया है







भोपाल
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्वविद्यालय का वर्ष २००८ का सत्रारंभ आ शुरू हो रहा है । यह कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा । इस कार्यक्रम मैं देश की जानी पहचानी मीडिया हस्तिया युवा और भावी पत्रकातों से रूबरू होंगे । जिनमे पुण्य प्रसून बाजपेयी , राहुल देव, रेखा निगम और एन के सिंह और गिरीश उपाध्याय आदि शिरकत करेंगे ।
इससे पूर्व आज पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने स्पेशल विकल्प निकला है जिसका एक पूर्व प्रकाशन प्रति वेबी पर इस प्रकार है ।

Thursday, July 10, 2008

Master of journalism

1. Amit kumar omkar
2. Amit kumar soni
3. Anand Prasad jat
4. Ashutosh seetha
5. Brijendra kumar upadhyay
6. chinmoy biswas
7. devendra shukla
8. divya richa
9. Jitendra jatav
10. Jyotsna singh
11. Mayank chaturvedi
12. Pankaj chaurasia
13. Parikshit singh
14. Priyanka Dubey
15. Ravi sankar singh
16. Rohitashwa krisna mishra
17. Roop narayan gautam
18. Smita pandey
19. Sourabh khandelwal
20. Sushil kumar tripathi
21. Swati priya
22. Tohid ahemed qureshi
23. Abhishek sharma
24. Arun kumar mishra

Science journalism

1. Rohit Prasad verma
2. Shweta pandey
3. Amar jeet pal
4. Sanjeev kumar
5. Alka shrivastava
6. Deepesh jain
7. Krishana singh
8. Rajeev kumar tiwariTripti shukla

Saturday, July 5, 2008

PGDSJ ( भोपाल कैम्पस )

1 अतहर इमाम BHO 6520 AMWATSKA

2 जावेद खान BHO 1524 भोपाल

3 रोहित प्रसाद BHO 1529 भोपाल

4 श्वेता पांडे BHO 1613 भोपाल

5 तृप्ति शुक्ल BHO 4530 लखनऊ

एम जे के टेस्ट में पास स्टुडेंट

MJ ( भोपाल कैम्पस ) 1 अभिषेक शर्मा भरतपुर BHO 3099 2 आदित्य कुमार BHO 2010 GORAKHPU 3 अमित कुमार ओंकार BHO 1198 खंडवा 4 अमित कुमार सोनी BHO 1041 भोपाल 5 आनंद प्रसाद जाट BHO 1200 भोपाल 6 आनंद सिंह BHO 4608 लखनऊ 7 अरुण कुमार BHO 4060 इलाहाबाद 8 आशुतोष SEETHA BHO 1162 भोपाल 9 भूपेन्द्र सिंह BHO 4556 बंदा 10 BINITA कुमारी BHO 5169 बेगूसराय 11 बृजेश कुमार BHO 4163 TIWARIPUR 12 CHINMOY बिस्वास BHO 4078 इलाहाबाद 13 देवेंद्र शुक्ल BHO 4123 रायपुर 14 DISHA राउत BHO 1073 भोपाल ऋचा 15 दिव्य BHO 5095 MUZAFFARP 16 जितेंद्र JATAV BHO 1136 भोपाल 17 ज्योत्सना सिंह BHO 1189 GOWALIR 18 खुशबू जोशी BHO 1207 भोपाल 19 के.यू. पूजा शर्मा BHO 1139 भोपाल 20 कुमारी NIDHI BHO 5143 वाराणसी 21 मनोज कुमार BHO 4142 GORAKHPU 22 मयंक BHO 2141 LALPUR 23 मोहित पांडे BHO 4061 फैजाबाद 24 नेहा मेनन BHO 4069 इलाहाबाद 25 निशा कुमारी BHO 2603 नई दिल्ली 26 पंकज चौरसिया BHO 4153 बंदा 27 परीक्षित सिंह BHO 1188 सतना 28 प्रभा किरण BHO 6042 कुंडा 29 प्रशांत BHO 6001 चतरा 30 प्रशांत कुमार BHO 4557 फतेहपुर 31 प्रियंका दुबे BHO 1154 भोपाल 32 RAJDEEP यादव BHO 4168 इलाहाबाद 33 रवि शंकर BHO 5181 सासाराम 34 RITESH कुमार BHO 1072 भोपाल 35 रितु SEJWAL BHO 2003 नई दिल्ली 36 ROHITASHWA BHO 4161 लखनऊ 37 रूप नारायण BHO 1085 भोपाल 38 शैलेश कुमार गया BHO 5064 39 श्वेता KESHRI BHO 7079 कोलकाता 40 श्वेता सिंह BHO 4212 GORAKHPU 41 SKAND शुक्ल BHO 4159 BANKTI 42 स्मिता पांडे BHO 1133 इलाहाबाद 43 स्निग्धा VARDHAN BHO 5186 बिहार 44 सौरभ BHO 1166 भोपाल 45 सौरभ कुमार पटना BHO 5185 46 सुधीर कुमार BHO 4171 BEGUSATAI 47 सुनील कुमार वर्मा BHO 1145 कटनी 48 SURBHI ख्याति BHO 4191 वाराणसी 49 श्री सुशील KUAMR BHO 4157 GORAKHPU 50 सीस्वाटि प्रिया BHO 6160 KUSUNDA 51 TOHID AHEMED BHO 1108 SOHAGPUR 52 वरुण कुमार BHO 1111 भोपाल 53 विनय कुमार BHO 4102 इलाहाबाद 54 विवेक मिश्रा BHO 4552 बहराइच MJ ( नोएडा

Friday, June 6, 2008

तोड़फोड़ पत्रकारों से चरित्र पर प्रभाव पड़ेगा

एक अन्य वक्ता ने बताया कि पत्रकारों को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना, उनको जानना होगा। दूसरा अपने पाठकों की नीव में निष्ठा बनाये रखना होगा। तभी पत्रकारों को भी फायदा होगा। वरना इस तरह तोड़फोड़ करने की प्रवृति से पत्रकारों की साख पर प्रश्न चिह्न लगेगा और उनके व्याक्तित्व पर भी असर पड़ता है।

Thursday, June 5, 2008

मीडिया का यूज़ 'धंधे' ज़माने में तो नहीं

रविन्द्र दयाती ने अपने संक्षित अदबोधन मैं कहा कि हमे ये समझना होगा कि वास्तव में ये वार है क्या? कहीं ये पावर वार तो नहीं है? बाजारवाद पर हावी होने के लिए, मीडिया के जरिये अपने दुसरे धंधों को स्थापित करने के लिए अपना दूसरा मार्केट ज़माने का माध्यम तो नहीं है ये मीडिया युद्ध के जैसा हालत. हाँ अगर पाठकों के नजरिये से देखें तो ये परीक्षा का दौर है जहाँ दो अलग अलग समाचार पत्र आपके सामने है अब आपको सोचना है कि आप किसे ज्यादा नंबर देंगे या कम देंगे यहाँ सब कुछ है तो पाठक के हाथ मैं न यहाँ कोपी तो उसे ही जाचनी है. फ़िर भी अगर आचार संहिता के आधार पर देखें तो पहली बार एक दुसरे के नाम पर सीधा आक्ष्प लगाया जा रहा है पहली बार नाम लेकर कीचड उछला जा रहा है जिसे अच्छा नहीं माना जा सकता है

पाठकों के प्रति समर्पित होने से सार्थक होंगी बहसें

श्री कुशवाहा जी ने कहा कि अभी हाल ही में मई का महीना ख़त्म हुआ है एक सौ पचास साल पहले स्वतंत्रता का पहला युद्ध लड़ा गया फ़िर उन्नीस सौ सैतालिस मैं दूसरा तथा उन्नीस सौ पिचहत्तर में तीसरा युद्ध लगा गया और अब हमारे यहाँ मीडिया का यद्ध लड़ा जा रहा है अभी पत्रकार जिन हाथों में खेल रहा है और जहाँ वह काम कर रह है उसका मौहोल सही नहीं है हमारा लोकतंत्र बिना पारदर्शिता के नहीं चल सकता है मगर आज भी हमारे समाज में पारदर्शिता नहीं आई है आज अखबारों में लिखा क्या जाता है इसी का नतीजा है कि हम अखबार सिर्फ़ पन्द्रह मिनिट में समाप्त हो जाता है जहाँ प्रिंट मीडिया के पत्रकारों के सामने एक दिक्कत ये भी है कि उसमे इलेक्ट्रोनिक मीडिया की तरह मूड्स नहीं आता है और इतनी बढाती प्रतियोगिता का नतीजा यहीं होना है कि पत्रकारों का फायदा होगा तो दूसरी तरफ़ उनका शोषण भी तो होगा जब तक अखबार अपने पाठकों के प्रति समर्पित नहीं होंगे ऐसी वार्ताओं का कोई फायदा नहीं होने वाला है

गांधीजी के हिंद स्वराज को मध्यम वर्ग ने नहीं स्वीकारा


पंद्रहवी राजबहादूर पाठक स्मृति व्याख्यानमाला गांधीजी की कृति हिंद स्वराज के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर भोपाल के न्यू मार्केट स्थित अपेक्स बैंक के समन्वय परिसर में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम अपने शहर भोपाल के कई बुद्धिजीवियों के अलावा बाहर से भी कई लोगों ने शिरकत कीं। इस विचारपूर्ण व्याख्यानमाला के प्रमुख वक्ताओं में प्रभाष जोशी, वागीश शुक्ल और नन्द किशोर आचार्य ने भागीदारी की।
जाने-माने विचारक और लेखक प्रभाष जोशी को कौन नहीं जनता है जिनका जन्म गाँधी की जन्मभूमि गुजरात में हुआ। उन्होंने कुछ समय भोपाल में भी बिताया है उन्होंने यहाँ उन्नीस सौ छियासठ के बाद दो साल तक यहीं भोपाल की पत्रकारिता से जुड़े रहे है आप आजकल गांधीजी के हिंद स्वराज की परिकल्पा के न होने के कारणों को ढूंढ रहे है यानि कि हिंद स्वराज क्यों नहीं हुआ इस पर कार्य कर रहे है। गाँधी जी ने उन्न्सिस नौ से लेकर अड़तालीस तक हिंद स्वराज पर जोर दिया था मगर उसको लोगों के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सका।
उन्होंने पुस्तक के समबन्ध में चर्चा करते हुए कहा कि गांधीजी ने लिखा था कि यह पुस्तक में उन भारतीयों के लिए लिख रहा हूँ जो पश्चिमी सभ्यता और हिंसा में अंध विश्वास रखते है यह अंगरेजी हिंद स्वराज की भूमिका का अंश है , जो अन्थोनी पाल ने की थी।
उन्होंने यह भी कहा था पश्चिमी संस्कृति ब्रिटेन के लिए भी हानिकारक है तब भारत के लिए कितनी हानिकारक होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है। इसको लेकर गांधीजी चिंतित थे.
कार्यक्रम का संचालन ध्रुव शुक्ल जी ने किया।

Wednesday, June 4, 2008

कम हो रहे है मीडिया घराने

एक अन्य वक्ता ने अपने मत में कहा कि इस तरह के उठापटक से मिडिया का माहौल ख़राब हो रहा है पर्यावरण का विनाश हो रहा है अब मिडिया घराने घट रहे है पहले चोबिस घराने थे जो आज के दिन तेरह ही रहे है इसका कारन पत्रकारिता की विश्वसनीयता की कसौटी पर है उन्नीस सौ इक्रयासी में एक न्यूज़ चैनल है जो आज तेरह हो गए है ब्राडबैंड और इंटरनेट से दायरा बढ़ रहा है इडिया घराने कई ज्यादा प्रयास कर रहे है प्रिंट मिडिया की स्थिति टीवी से ज्यादा प्रभावित हो रही है मगर दूसरी तरफ़ अखबारों क प्रति लोगों में रुचि बढ़ी है बड़े अखबार छोटे अखबारों को प्रभावित कर रहे है और उनकी दशा डर रोज बिगड़ती जा रही है ऐसी स्थिति में ये समाज का दायित्व है कि वे उन अखबारों को प्रोत्सहीत करें.

हमें 'एड्स न्यूज़' फ़िल्म जैसी स्टाइल से दिखाना होगा:शैलेश

आज हम ये जानते है कि एक-दुसरे से बात करने को कितना बुरा माना जाता है। ऐसी स्थिति में समस्या यह आती है कि इसकी रिपोर्टिंग कैसे की जाय और इसके प्रिवेंसन को कैसे रिपार्ट किया जा सकता है आज हमारा समाज इस पर बात करने में भी कतराता है। जहाँ इसकी शिक्षा के नाम पर भी विवाद होना शुरू हो जाता है आप अगर इसको समाज में सेक्स एज्युकेसन कहेंग तो बात नहीं बनने वाली नहीं है।
हमारे सामने रिपोर्टिंग के दौरान भी वहीं समस्या ही आती है जो सेक्स एज्युकेसन के दौरान आने वाली होती है मीडिया से जुड़े होने के नाते हमे ये प्रयास करना चाहिए कि हम इसको इसे लिखे,स्टोरी मैं दिखाएँ की लोग उसे देखने पर मजबूर हो जाए हमारे लिए एक चुनौती ये भी है कि हम सेक्स एज्युकेसन एक बार ही देने जाते है मगर मीडिया से जुड़े होने के खातिर आपको उसे कई बार दिखाना है, बार-बार दिखाना है और पत्रिकाओ को भी उसे हर बार एक नए ढंग से लिखना अपने आप में बड़ी चुनौती है जो वास्तव रोचक भी होना चाहिए. हमे हर रोज ये तरीके ढूँढ़ने होते है कि कैसे एड्स को उस आदमी को बताया जाय जिसकी इसे जानने मैं कोई दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में क्या किया जाय कि उसे देखे और ज्यादा उसके बरे मैं जानना चाहे आम आदमी अक्सर अपनी निगाहें महानायकों पर टिकाए रहता है उसे ही देखना चाहता है पढ़ना चाहता है क्योकि उसके साथ उसके सपने जुड़े होते है वहीं दूसरी तरफ़ एच आई वी से पीड़ित कोई महानायक नहीं होता है तो फ़िर आप उसे कैसे दिखायंगे मीडिया मैं बस आज हाइवे के किनारे और रोड पर चलने वाले ड्राइवरों की समस्या को ही फ्लेश किया जा रहा है।
हमारे समाज में सेक्स वर्कर्स की मौजूदगी आज की बात नहीं है ये तो हमारे समाज में आदि कल से चली आ रही परम्परा है पहले जो काम देवदासियाँ करती थी वे ही अब सेक्स वर्कर कर रही है हमारे पास एड्स पर इसके अलावा दुसरे दिन दिकहने के लिए ने स्टोरी क्या है यहं हमारे क्म्युनिकेसन के स्किल का बा रोल होता है अखबर के पत्रकार से लेकर इलेक्ट्रोनिक चैनल जैसे मीडिया के लिए भी कि कैसे एड्स की विराटता को उसी परिद्रस्य के साथ पेश किया जा सके. यहाँ विराटता से आशय एड्स की महानता से नहीं वरन उसके व्यापक दुष्प्रभाव से है एक पत्रकार को चाहिए कि वह एड्स की उस भयावहता को उसके मूल स्वरूप में देखकर लोगो को भी दिखा सके और यही अपने आप में बिग स्टोरी होगी किसी प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार के लिए भी.हमे एड्स को अच्छे से रिपोर्ट करने के लिए सूत्र तलाशने होंगे जो एक दुसरे से दूर दूर बिखरे हुए है और उन्हें लोगों को बतातना होगा और आंकडों से कुछ नहीं होता आपको मुद्दे को भावात्मक मोड़ देना ही होगा क्योंकि लोगों को आंकडों पर तरस नहीं आता है इसी लिए अन्कदों पर अक्सर लोगों का ध्यान जाता ही नहीं है लोगों को एड्स के विषय में बताने के दो तरीके है पहला उनको डराकर या फ़िर मानवीय त्रासदी के भावनात्मक पहलू को सामने लाकर. एड्स की खबरों का हाल क्या होता है ये तब पता चलता है जब आपकी इस न्यूज़ पर आपका चैनल बदला दिया जाता है एक मिडिया संस्थान होने के नाते हम भी एड्स पर काम करना चाहते है ये महान कार्य करना चाहते है मगर इस महान कार्य को कई देखे तो ना, और जब कोई इस काम को कई देखें नहीं तो फ़िर चैनल होने के नाते में उसे क्यों दिखाऊँ? असल में बात ये नहीं है कि कोई एड्स पर कुछ भी देखना ही नहीं चाहता है सच तो यही है कि हमें असल में एड्स को दिखाना ही नहीं आता है. एड्स के समबन्ध में हमारी कम्युनिकेसन स्किल्स ही सबसे बड़ी समस्या है और यही आने वाले पत्रकारों के साथ साथ उन सभी तमाम भावी पत्रकारों के लिए भी चुनौती है कि एड्स पर किस प्रकार से लिखा जाय जिसे लोग पढे और अपने जीवन में उतारने पर राजी हो जाए।
उन्होंने अपने एक अनुभव के अधर पर बताया कि उनके चैनल के एक व्यक्ति को पिछले दो सालों से एड्स पर डाक्यूमेट्री पर पुरस्कार मिल रहा है मगर उसमे क्या है ये उनको याद नहीं है कि उसमे क्या है मगर वहीं उनके चैनल के एक रिपोर्टर के द्वारा आजमगढ़ के एक सामान्य सी लगने वाली स्टोरी अब तक मानस पटल पर छाप बांये हुए है हम न मर्यादाओं से बाहर निकल सकते है मगर हम इसके विषय में मौन रखना उचित नहीं समझते है और ऐसा मानते है कि हम उसे समाज के सामने रखने से बाज़ भी नहीं आयेंगे तो फ़िर इसके लिए हमें ही अपना तरीका विकसित करना होगा जो अपने अन्दर से आने की वजह से मौलिकता लए हुए होगा। आज भी एड्स जैसे गंभीर विषय पर कह्बरों के साथ साथ अच्छे रिपोर्टरों की कमी है जो उन बेबस लोगों को अलग नजरिये से देखा सके और उनकी पीड़ा को अन्दर से महसूस कर सके। हमे कोई 'फिल्मी' तरीका इजाद करना होगा जैसे हर फ़िल्म में लगभग एक सी कहानी होती है कलाकारों का रोल एक सा होता है फ़िर भी न सिर्फ़ फिल्में बनती है बल्कि कई सारी फिल्में चलती भी है और सुपर हीट भी हो जाती है ठीक इसी तरह एड्स पर भी हमें कोई युक्ति इजाद करनी होगी जिसे हर स्टोरी न सिर्फ़ देखी जाय वरन पसंद भी की जाए .
पिछले दिनों आज तक चैनल के एक्जीक्यूटिव एडिटर श्री शैलेश जी भोपाल के पलाश होटल में मध्य प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसायटी के द्वारा मीडिया स्टूडेंट्स के लिए आयोजित एक कार्यशाला में आए थे. उन्होंने वहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों से रूबरू हुए और इसी दौरान मुझे भी उनसे इस सम्बन्ध में कुछ समझने का अवसर मिला यहाँ प्रस्तुत है उनके मूल भाषण के कुछ अंश . उम्मीद है कि आपको पसंद आयेंगे . अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराये.

Sunday, June 1, 2008

ये क्या हो रहा है ................

भोपाल में मीडिया किसके हित में विषयक गोष्ठी में अतिथि।
भोपाल
आज शहर के रविन्द्र भवन स्थित स्वराज भवन में मीडिया के मित्र के द्वारा एक गोलमेज संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय था भोपाल में मीडिया वार किसके हित में ? इस गोलमेज परिचर्चा में भोपाल शहर के कई जाने-माने मीडिया कर्मी और मीडिया के विश्लेषकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का आरंभ युवा विचारों के साथ हुआ इस दौर में स्टार चैनल के भोपाल में विशेष संवाददाता बृजेश राजपूत ने कहा कि इन दिनों भोपाल के मीडिया के में बड़ी आग है वैसे तो भोपाल बड़ा ठंडा ठंडा कूलस्पॉट है होर्डिंग्स से लेकर सभी घरों तक इसकी तपीश है । नए अखबार आए है और कुछ नए आने वाले है इलेक्ट्रोनिक मीडिया में भी कई नए केमरों के टेग दिखाई देने लगे है अब पत्रकारों को बेहतर पेकेज मिल रहा है जिन लोगों से कुछ बन नही रहा था उनको मजा आरहा अब


इसके आगे के वक्ताओं के विचार कल क पोस्ट में पढे ...........

Saturday, May 31, 2008

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय परिवार का हिस्सा बनने वाले उन सभी युवा धडकनों को मैं अपनी, मेरे दोस्तों, मेरे विभाग की तरफ़ से हार्दिक स्वागत करता हूँ । इस परिवार का एक सदस्य होने के नाते यह मेरा दायित्व भी बनता है कि मेरे घर के इस आयोजन मैं कोई भी कमी रहे और आपको कोई असुविधा हो तो ये हमारे लिए सर झुकने का विषय होगा।
किसी को किसी प्रकार की असुविधा या जानकारी चाहिए हो तो आप इस ब्लॉग पर उसे बाँट सकते है। उम्मीद है आप इस नंबर ९९८१७३९१०८ की कुछ मदद करने का प्रयास हम जरूर करेंगे।
आपका दोस्त
विकल्प

अब भोपाल के मीडिया की चर्चा गोलमेज पर


इन दिनों भोपाल के मीडिया में होने वाली चर्चाए आम से लेकर खास के बीच बढ़ने लगी है भोपाल के वर्तमान मीडिया के हालातों पर चर्चा के लिए एक गोलमेज गोष्ठी का आयोजन स्वराज भवन मैं किया जा रहा है। इसके सम्बन्ध में अधिक सूचना छवि के प्राप्त कर सकते है ।

हमे बस एड्स पर लिखना आना चाहिये

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी ।
मुद्दा गंभीर है ..........दीपक,नम्रता,दीपा और सोनी वक्तव्य सुनते हुए ।

कार्यशाला के दौरान मंचासीन अतिथि ।
बड़े भाई भी आए कुछ जानने के लिए ... एम जे के सीनियर।
यूनिसेफ के नए अधिकारी ।

आज तक के शैलेश जी अपने विचार रखते हुए ।

एड्स जैसी भीषण समस्या पर अगर पढ़ा नही जाता है, इसका मूल कारण यह नहीं है कि लोगों को इसकी चिंता नहीं है। इसका कारण यह है हम आज तक भी इसको वास्तविक रूप से वैसा पेश नहीं कर पाए है। सच यही है कि हमे मीडिया आर्गनाइजेसन की रिक्वायरमेंट के अनुरूप एड्स को प्रेसेटकरना नहीं आया है। समस्या यह नही है कि लोग एड्स पर देखना, सुनना या पढ़ना नहीं चाहते है, हम लोगों के सामने समस्या यह है कि हम एड्स पर ऐसा लिख ही नहीं पा रहे है जिसे लोग पढे ।


यह विचार आज तक न्यूज़ चेनल के एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर श्री शैलेश जी ने होटल पलाश रेसीडेसी में मध्य प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा मीडिया के छात्रों के लिए एड्स पर एक कार्यशाला में व्यक्त किए। जिसमें मीडिया से जुड़े विषयों पर कई मीडिया विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को बारीकियाँ सिखाई। इस कार्यशाला में शैलेश जी के अलावा द वीक के भोपाल ब्यूरो प्रमुख दीपक तिवारी , हिंदू के विशेस संवाददाता ललित शास्त्री और परियोजना संचालक मध्य प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी डाक्टर ब्रजेन्द्र मिश्रा भोपाल मेडिकल कालेज, डाक्टर सक्सेना, डाक्टर सोमा बोस भी मौजूद थे।

Friday, May 30, 2008

अमेरिका की तरह यहाँ भी आएगा, डाक्युमेंटरी का दौर

पत्रकारिता विभाग के छात्रों से रूबरू होती श्रीरुपा राय।

अमेरिका का मीडिया अमेरिकस फोकस है जिसमे कभी-कभी तो बड़ी बड़ी इंटरनेशनल न्यूज़ को भी कवरेज नही मिल पाता है। अमेरिका में अब प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक का कवरेज कम होता जा रहा है और वहां के लोगों को भी इसमे ज्यादा इन्स्ट्रेस्ट अब नहीं रहा है मगर हमारे देश भारत मे हाल फिलहाल में पेपर, टीवी और वेब तीनो माध्यमों की स्थिति पीक पर है। जिससे अभी भी लोगों की रूचि बरकरार है वहीं अमेरिका में इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है क्योंकि अब लोग इससे बोर होते जा रहे है। हमारे देश में भी विकास के मुद्दों को लेकर कुछ करने के लिए डाक्युमेंटरी एक अहम् औजार हो सकती है। यह कहना है श्रीरुपा राय का जो, अमेरियन सेंटर के साथ जुड़ कर इंडियन मीडिया का एलालिसिस कर रही है। वे पिछले दिनों पत्रकारिता विभागे के छात्रों से रूबरू हुयी और नई पीढ़ी के युवाओ के सपनो के साथ अपने अनुभवों को भी बांटा ।
श्रीरुपा ने बताया कि मीडिया पर नियंत्रण के लिए अमेरिका में एफसीसी है ब्रिटेन में भी रेगुलेसन कोड है यू एस ऐ में इनडीपेंडेंट रिव्यू कमीसन है वह संतुष्ट होने पर ही किसी कन्टेन्ट को एयर की अनुमति मिलती है मगर भारत में मीडिया पर इतना ज्यादा सेंसर नहीं है इसी वजह से मीडिया में काम करने की संभावनाये है।
अपने रिसर्चे के लिए दिल्ली को ही चयन किया ये पूंछे जाने पा उन्होंने बताया कि मैंने दिल्ली को इसलिए चुना है क्योंकि मुम्बई में तो ज्यादातर के मार्केटिंग के ऑफिस और टी आर पी वहां है मुख्यतः सभी चेनलों का डीपार्टमेंट दिल्ली में ही फोकस है जिनका एडिटोरियल तो दिल्ली से ही संचालित होती है। वहां रह कर इनका अध्यन करना उपयुक्त होता है ।
अमेरिका में डाक्युमेंटरी को मेन स्ट्रीम मीडिया के तौर पर देखा जाता है वहां डाक्युमेंटरी से उन सब मुद्दों को दिखाया जाता है जो मीडिया से परे छुट जाते है मगर हमारे देश में अभी ऐसा नहीं हो पाया है अमेरिका में डाक्युमेंटरी डवलपमेंट को फोकस होती है जिसमे हरिकेन जैसे कई डिजास्टर मेनेजमेंट ।
उन्होंने यह भी कहा कि वास्तव में डाक्युमेंटरी के क्षेत्र में काफी समभावनाये है हमारी पत्रकारिता ने अभी तक इसको कास्टिंग काउच, तहलका और स्टिंग ओपरेशन तक ही सीमित रखा है कुछ लोगों ने इस विधा का अवार्ड जीतने के लिए भी प्रयोग किया है मगर व्यापक समभावनाये अभी भी बाकि है अगर उस पर कम शुरू होने पर जल्द ही डाक्युमेंटरी हमारी में स्ट्रीम मीडिया का अहम् हिस्सा होगी ।

Sunday, May 18, 2008

अब गुरु घंटाल भी लिखेगा ब्लॉग

भोपाल

एक ताजा समाचार कहे या ब्रेकिंग न्यूज़ कहे डिपार्टमेंट के छात्र और ओरकुट पर आवारा मसीहा के नाम से फेम हमारे शिवम् भइया भी अपनी जोंडिस की बीमारी से इतने इम्प्रेस हुए है की उन्होंने ब्लॉग लिखने का फ़ैसला किया है उनके ब्लॉग को आप गुरु घंटाल के नाम से पर है है इसका लिंक विकल्प
फीडबैक पर भी है ।

Sunday, May 4, 2008

एक ख़त आया तो है



पाठकों आपको ये बताते हुए हर्ष है की हमें एक पत्र मिला तो है। उस पत्र का मूल इस प्रकार है शायद हमारी मेहनत में ही कोई कमी रही होगी। इस पर हम अगली बार से और ध्यान देंगे। उम्मीद है की आपका फीडबैक शीघ्र ही हमें प्राप्त होगा।

प्रतीक्षा में।

आपका प्यार कम हो गया है शायद



जनाब मैं किसी नए उपन्यास की बात नहीं कर रहा हूँ
जो बाजार में बिकने के लिए आया है बल्कि मैं आपकी ही बात कर रहा हूँ
आपका क्या ख़याल है मैं तो लिखे ही जा रहा हूँ और एक आप है की कोई परवाह ही नही है अरे भई आपको भी कुछ ना कुछ तो लगता होगा अच्छा बुरा या फ़िर गुस्सा कभी शिकायत करने का जी तो करता होगा
हाँ होता है न तो फ़िर बेधड़क होकर बोलो कमेंट्स करो लैटर लिखो बात करो मेल करो इससे भी बुरी भाषा में कहू तो तो उपदेश दो बकवास करो कुछ न कुछ तो करो आफ्टर आल आप एक इस्न्सन तो है ना
अपने सजीव होने का प्रमाण दो
अपना फीडबैक दो

Monday, April 28, 2008

आज हम ऊपर आसमाँ निचे


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने सोमवार को उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में एक नया मुकाम पाया है । भारत का उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी9 के साथ 10 उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। इनमे आठ अन्य देशों के हैं और दो भारत के हैं.लॉन्च किए जाने वाले दस उपग्रहों में भारत का आधुनिक रिमोट सेसिंग उपग्रह शामिल है. इसका अलावा आठ विदेशी नैनो उपग्रहों को भी छोड़ा गया है.
अपने तय समयानुसार यानी भारत में सुबह के नौ बजकर 23 मिनट पर इस यान को प्रक्षेपित कर दिया. इससे पूर्व गत वर्ष अप्रैल में एक रूसी उपग्रह प्रक्षेपण यान से 13 उपग्रहों को छोड़ा गया था लेकिन वह सफल नहीं हो सका था। अब भारत का 230 टन वज़न वाला पोलर सेटेलाइट लॉन्च वीहकल (पीएसएलवी-सी9) कुल 824 किलो भार लेकर गया है। इस प्रक्षेपण के बाद भारत को न सिर्फ़ विश्व स्तर पर सफलता मिलेगी साथ ही अन्य विकसित देश हमारे साथ समझौता करके हमारी मदद के लिए आगे आयेंगे। साथ ही हमारी इस सफलता के बाद कई विकासशील देश अपने सेटेलाइट लॉन्च करने के लिए हमारी मदद लेंगे । जो उन देशों से हमारे रिश्ते सुधरने में कारगर साबित होंगें ।

Thursday, April 24, 2008

विकल्प का ये अंक

भोपाल ,
हर बार की तरह इस बार का विकल्प भी हमने आपके लिए यहाँ रखा है । आप इसको यहाँ देखा सकते है । आप से निवेदन है की अपनी प्रतिक्रिया से हमे जरुर अवगत करायें ।

Tuesday, April 22, 2008

लिंक दे.

दोस्तों आप सभी से मेरा निवेदन है की अपने अपने ब्लॉग में इस ब्लॉग की लिंक देने का कष्ट करें । और इसी पते पर अपने ब्लॉग का यू आर एल सेंड करें ।
धन्यवाद ।

Sunday, April 20, 2008

विकल्प का इस बार का अंक

पाठकों आपकी सुविधा के लिए हमने विकल्प की एक कॉपी शिव के ब्लॉग पर रखी है
कृपया आप इस लिंक को देखने का कष्ट करें ।
http://scam24.blogspot.com/2008/04/blog-post_20.html

Friday, April 18, 2008

जीवन में सभी आगे नहीं बढ ताजे है कारणा सीधा सा है कि उनकॊ बेहतर अवसर नहीं मिल पाते है आपके लिए प्तस्तुत है एक विकल्प .