Sunday, May 4, 2008

आपका प्यार कम हो गया है शायद



जनाब मैं किसी नए उपन्यास की बात नहीं कर रहा हूँ
जो बाजार में बिकने के लिए आया है बल्कि मैं आपकी ही बात कर रहा हूँ
आपका क्या ख़याल है मैं तो लिखे ही जा रहा हूँ और एक आप है की कोई परवाह ही नही है अरे भई आपको भी कुछ ना कुछ तो लगता होगा अच्छा बुरा या फ़िर गुस्सा कभी शिकायत करने का जी तो करता होगा
हाँ होता है न तो फ़िर बेधड़क होकर बोलो कमेंट्स करो लैटर लिखो बात करो मेल करो इससे भी बुरी भाषा में कहू तो तो उपदेश दो बकवास करो कुछ न कुछ तो करो आफ्टर आल आप एक इस्न्सन तो है ना
अपने सजीव होने का प्रमाण दो
अपना फीडबैक दो

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