Thursday, June 5, 2008
मीडिया का यूज़ 'धंधे' ज़माने में तो नहीं
रविन्द्र दयाती ने अपने संक्षित अदबोधन मैं कहा कि हमे ये समझना होगा कि वास्तव में ये वार है क्या? कहीं ये पावर वार तो नहीं है? बाजारवाद पर हावी होने के लिए, मीडिया के जरिये अपने दुसरे धंधों को स्थापित करने के लिए अपना दूसरा मार्केट ज़माने का माध्यम तो नहीं है ये मीडिया युद्ध के जैसा हालत. हाँ अगर पाठकों के नजरिये से देखें तो ये परीक्षा का दौर है जहाँ दो अलग अलग समाचार पत्र आपके सामने है अब आपको सोचना है कि आप किसे ज्यादा नंबर देंगे या कम देंगे यहाँ सब कुछ है तो पाठक के हाथ मैं न यहाँ कोपी तो उसे ही जाचनी है. फ़िर भी अगर आचार संहिता के आधार पर देखें तो पहली बार एक दुसरे के नाम पर सीधा आक्ष्प लगाया जा रहा है पहली बार नाम लेकर कीचड उछला जा रहा है जिसे अच्छा नहीं माना जा सकता है
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