Thursday, June 5, 2008

गांधीजी के हिंद स्वराज को मध्यम वर्ग ने नहीं स्वीकारा


पंद्रहवी राजबहादूर पाठक स्मृति व्याख्यानमाला गांधीजी की कृति हिंद स्वराज के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर भोपाल के न्यू मार्केट स्थित अपेक्स बैंक के समन्वय परिसर में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम अपने शहर भोपाल के कई बुद्धिजीवियों के अलावा बाहर से भी कई लोगों ने शिरकत कीं। इस विचारपूर्ण व्याख्यानमाला के प्रमुख वक्ताओं में प्रभाष जोशी, वागीश शुक्ल और नन्द किशोर आचार्य ने भागीदारी की।
जाने-माने विचारक और लेखक प्रभाष जोशी को कौन नहीं जनता है जिनका जन्म गाँधी की जन्मभूमि गुजरात में हुआ। उन्होंने कुछ समय भोपाल में भी बिताया है उन्होंने यहाँ उन्नीस सौ छियासठ के बाद दो साल तक यहीं भोपाल की पत्रकारिता से जुड़े रहे है आप आजकल गांधीजी के हिंद स्वराज की परिकल्पा के न होने के कारणों को ढूंढ रहे है यानि कि हिंद स्वराज क्यों नहीं हुआ इस पर कार्य कर रहे है। गाँधी जी ने उन्न्सिस नौ से लेकर अड़तालीस तक हिंद स्वराज पर जोर दिया था मगर उसको लोगों के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सका।
उन्होंने पुस्तक के समबन्ध में चर्चा करते हुए कहा कि गांधीजी ने लिखा था कि यह पुस्तक में उन भारतीयों के लिए लिख रहा हूँ जो पश्चिमी सभ्यता और हिंसा में अंध विश्वास रखते है यह अंगरेजी हिंद स्वराज की भूमिका का अंश है , जो अन्थोनी पाल ने की थी।
उन्होंने यह भी कहा था पश्चिमी संस्कृति ब्रिटेन के लिए भी हानिकारक है तब भारत के लिए कितनी हानिकारक होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है। इसको लेकर गांधीजी चिंतित थे.
कार्यक्रम का संचालन ध्रुव शुक्ल जी ने किया।

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